प्रेमचंद की सामाजिक चिन्ताएँ~ विजय विशाल

🔥 प्रेमचंद की सामाजिक चिन्ताएँ~ विजय विशाल🔴 प्रगतिशील रचनाकार एवं समृद्ध चिंतक तथा विश्लेषक विजय विशाल ने प्रेमचंद जयंती 31 जुलाई के अवसर पर उनकी स्मृतियों को नमन करते हुए उनकी कहानियों और उपन्यासों की ताजा संदर्भों में सम्यक विवेचना प्रस्तुत की है। विजय विशाल की यह विवेचना संग्रहणीय है ~ संपादक ❗⭕ प्रेमचंद ने […]

🔥 प्रेमचंद को याद करने का मतलब ~ कौशल किशोर🔴 प्रेमचंद का समय बीसवीं शताब्दी का पूर्वार्ध रहा है। उनका निधन 1936 में हुआ। अर्थात करीब 8 दशक से अधिक का समय गुजर गया। लेकिन उनकी प्रासंगिकता और जरूरत प्रगतिशील और जनवादी साहित्यिक आंदोलन में हमेशा से रही है और आगे भी रहेगी।🔴 इस वर्ष […]

🥗 छंद, गीत और वर्तमान जीवन~ अजय तिवारी

🥗 छंद, गीत और वर्तमान जीवनरमेश रंजक ने अपने एक गीत में लिखा था:~होरी पड़ा अचेत खेत मेंधनिया खाय पछाड़ रेत मेंगोबर भूखा फिरे शहर मेंऐसी हालत है घर-घर मेंप्रेमचंद के बाद दूसरा कौन लिखे गोदान ?दमन की चक्की पीस रही इंसान!🔴 लगता ही नहीं कि यह 85-86 साल पहले की कथा का पुनर्स्मरण है। […]

गजल संग्रह “यह नदी खामोश है”~ श्लेष चंद्राकर की पड़ताल

🟣 युवा रचनाकार एवं समीक्षक “श्लेष चन्द्राकर” ने“हिंदी ग़ज़ल के सशक्त हस्ताक्षर हरेराम ‘समीप’ के गजल संग्रह “यह नदी खामोश है” को पढ़ा और गुना ही नहीं, बल्कि अपनी सशक्त टिप्पणी से उसकी विवेचना भी की है। वे लिखते हैं कि ~🔴 हिंदी ग़ज़ल ने आज जो मुकाम हासिल किया है, उसके पीछे अनेक पुराने […]

फकीर को नहीं डरा सकते ~ हिमांशु कुमार

🔥 आदिवासी गरीब गुरबों के लिए अपना जीवन होम करने वाले जाँबाज और जुझारू तथा स्वाभिमानी कार्यकर्ता हिमांशु कुमार गर्व से कहते हैं कि ~“आज मुझे फ़कीरी की ताकत समझ में आई। फकीर को आप न खरीद सकते हैं, न डरा सकते हैं, न झुका सकते हैं। आप उसके जिस्म को मिटा सकते हैं, लेकिन […]

अनिल जनविजय को जन्मदिन अनंत मंगल-कामनाएं !

अनिल जनविजय को जन्मदिन अनंत मंगल-कामनाएं !🔴 28 जुलाई, 1957 को बरेली (उत्तर प्रदेश) में एक निम्न-मध्यवर्गीय परिवार में अनिल जनविजय का जन्म हुआ। वे एक प्रमुख हिन्दी कवि लेखक, रूसी और अंग्रेज़ी भाषाओं के साहित्य अनुवादक हैं।🔴 इन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से बी.कॉम और मॉस्को स्थित गोर्की साहित्य संस्थान से सृजनात्मक साहित्य विषय में एम. […]

बिल्लेसुर का डंडा ~ गणेश पांडे

● बचि गयेव बाबाउर्फ़ बिल्लेसुर का डंडा ~ गणेश पांडे● प्रियवर ! किसान की कोशिश होनी चाहिए कि खरीफ हो, रबी हो, ज़ायद हो, किसी भी फ़सल को नुक़सान न पहुँचे। इसीलिए वह समय-समय पर निराई और कीटनाशक का छिड़काव करता रहता है।● चूँकि यहाँ बात बनुआ लेखकों की हो रही है, इसलिए उन पर […]

युवक जाति ध्वंस शुरू करें ~ दिनेश प्रियमन

🔥 युवक जाति ध्वंस का अभियान शुरू करें~ दिनेश प्रियमन🔴 जनवादी कवि, लेखक तथा आलोचक दिनेश प्रियमन ने फेसबुक पर एक छोटा सा, किन्तु तल्ख आलेख लिखा है। उन्होंने जो सवाल खड़ेकिए हैं, उनके जवाब तलाशना बहुत जरूरी है। उनका कहना है कि~● 23 जुलाई 2022 अमर बलिदानी आजाद का जन्म दिन हमारे लिए अनुभव […]

आलोचना का सच~ गणेश पाण्डेय

“आलोचना का सच उर्फ़ आलोचना क्या नहीं है”~ गणेश पाण्डेय🛑 गणेश पाण्डेय गोरखपुर विश्वविद्यालय में प्राध्यापक रहे हैं। वे जाने माने प्रख्यात आलोचक, कवि, लेखक तथा सूक्ष्म अन्वेषी समीक्षक, समर्थ चिंतक तथा विचारक हैं। वे हिन्दी, अंग्रेजी, अवधी तथा भोजपुरी भाषा के मर्मज्ञ हैं। आलोचना के संदर्भ में उनके एक सारगर्भित लेख के कुछ जरूरी […]

हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं ~ प्रो चंद्रेश्वर

“हंगामा खड़ा करना मेरा मक़सद नहीं !”~ चंद्रेश्वर 🛑 संजीव को विश्व का सर्वश्रेष्ठ कथाकार घोषित करने के षड्यंत्र पर हिन्दी साहित्य संसार में हंगामा ~ वरिष्ठ कवि, कथाकार तथा आलोचक प्रोफेसर चंद्रेश्वर का एक तल्ख आलेख और स्पष्टीकरण ~~~•••🔴 मैंने वरिष्ठ समकालीन हिन्दी आलोचक प्रोफेसर अजय तिवारी के फेसबुक वॉल पर तीन दिन पहले […]